आक्रमण

वायु प्रदूषण

 

अंक : 3

प्यारी साध संगत जी,

वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह।


ईश्वर की इंसान को बख्शी सबसे बड़ी देन उसके द्वारा बनाई गई कुदरत (nature) और इंसान का शरीर है। इंसान अपनी पहली साँस से लेकर आखरी साँस इसी कुदरत के सहारे लेता है और अपनी पूरी जीवन यात्रा के दौरान कुदरत से एक पल भी जुदा नहीं होता। आज इंसान अपनी जरूरतों और ख़्वाहिशों को पूरा करने के लिए इसी कुदरत का नाश करने लगा है। नतीजा यह हुआ है कि कुदरत भी इंसान को इसका उलट और भरपूर जवाब दे रही है और यह सब साफ-साफ नजर आ रहा है। जिस वायु और पानी के बिना न तो इंसान का शरीर बन सकता है और न ही वह जी सकता है आज इंसान उसी वायु और पानी का गलत तरीके से इस्तेमाल करके, उनके प्रति गैरजिम्मेदार, असंवेदनशील (insensitive) बनकर न सिर्फ अपना बल्कि अपनी आने वाली पीढ़ियों, इस धरती पर जी रहे सभी जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों और वनस्पतियों के अस्तित्व ( existence) को भी खतरे में डाल रहा है। आज साफ वायु और पानी एक luxury (विलास साधन) बन चुके हैं और कुछ ही वक्त में ये दुर्लभ (rare) हो जाएगें। साफ वायु और पानी की कमी और उनके बढ़ते हुए प्रदूषण ने पूरी दुनिया और मानव जाति को हिलाकर रख दिया है। मैंने संगत की जागरूकता के लिए 31 मार्च 2019 को रूड़की में वायु प्रदूषण पर एक audio visual programme का आयोजन करवाया था। आज उसी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए मैं आक्रमण के इस अंक के द्वारा वायु प्रदूषण के गंभीर मुद्दे के बारे में घर-घर तक जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रहा हूँ।

प्रदूषण का मतलब है मैलापन, अपवित्रीकरण, Pollution. वायु प्रदूषण का मतलब है हवा में अशुद्धता होना और अशुद्ध हवा को प्रदूषित वायु कहा जाता है। इंसान, जीव-जन्तुओं और वनस्पतियों के लिए वायु का होना बहुत ही ज़रूरी है। इंसान खाने और पानी के बिना कुछ दिनों तक जिंदा रह सकता है लेकिन वायु के बिना कुछ मिनट भी जिंदा रहना बहुत मुश्किल है। एक इंसान दिन भर में औसतन 20 हज़ार बार साँस लेता है और तकरीबन 11 हज़ार लीटर वायु का इस्तेमाल करता है। हमारे वायुमण्डल ( atmosphere) में नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोक्साइड आदि गैस एक निश्चित अनुपात (fixed ratio) में मौजूद होती हैं। अगर इनके अनुपात (ratio) के सन्तुलन (balance) में कुछ बदलाव या फेरबदल हो तो वायुमण्डल और वायु अशुद्ध और प्रदूषित हो जाते हैं। दुनियाभर में हर साल करीब 70 लाख लोग वायु प्रदूषण के कारण मरते हैं।

लगातार बढ़ती हुई आबादी और इंसान की बढ़ती हुई ज़रूरतों की वजह से कुदरत और पर्यावरण (environment) का सन्तुलन लगातार खतरनाक तरीके से बिगड़ता ही जा रहा है। विकास के नाम पर इंसान प्राकृतिक सम्पदाओं (natural resources) और कुदरत को रौंदता जा रहा है। नतीजा है कि कुदरत ने इस धरती पर जो अरबों करोड़ों सालों से एक प्रणाली (system) विकसित की थी जो सभी जीव-जन्तुओं, वनस्पतियों और पर्यावरण ( enviornment ) के बीच एक नाजुक सन्तुलन कायम किए हुई थी उसका विनाश होना शुरू हो गया है। पर्यावरण और इंसानी जिंदगी का एक दूसरे के साथ बहुत गहरा रिश्ता है। इंसान के रहन-सहन और साँस लेने के लिए वायु पर निर्भरता (dependence) की वजह से दोनों एक दूसरे से हर पल, हर क्षण जुड़े हुए हैं। तेज़ी से लगातार बिगड़ते हुए पर्यावरण की वजह से वायु और जल प्रदूषण एक खतरनाक स्तर पर पहुँच चुके हैं। वायु प्रदूषण अक्सर दिखाई नहीं देता है पर यह हर जगह व्याप्त, फैला हुआ है। आज दुनिया के 6 अरब से ज्यादा लोगों को प्रदूषित वायु में साँस लेना पड़ रहा है। घरों के अंदर और बाहर प्रदूषित वायु एक अदृश्य जहर, अदृश्य मौत बन चुकी हैं और इससे होने वाले कैंसर, हृदय (heart) और साँस की बीमारियों की वजह से दुनियाभर में हर घंटे तकरीबन 800 लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। वायु प्रदूषण के लगातार प्रभाव से इंसानों में बुद्धिमत्ता का स्तर और immune system (प्रतिरक्षा प्रणाली) कम हो जाता है। वायु प्रदूषण की वजह से बढ़ती हुई बहुत सी घातक और जानलेवा बीमारियाँ और जीव-जन्तुओं और वनस्पतियों की बहुत सी खत्म होती हुई प्रजातियाँ मानव जाति के लिए एक भयंकर समस्या का रूप ले चुकी हैं। आइये जानते हैं कि किन कारणों से वायु प्रदूषण होता है :


प्राकृतिक कारण (Natural reasons) :


1. आंधी तूफ़ानों के दौरान उड़ने वाली धूल और पृथ्वी पर गिरने वाली ब्रह्मांडीय धूल (cosmic dust ) की वजह से।
2. ज्वालामुखियों से निकलने वाली राख और गैस की वजह से।
3. जंगलों की आग से उत्पन्न (पैदा) धुंए और गैस की वजह से।
4. जंगलों में पेड़-पौधों से उत्पन्न हाइड्रोजन के यौगिक (compound) और परागकण (pollen grain) एवं दलदल (marsh, swamp), झील, तालाब आदि में अपघटित पदार्थों (decomposed material) से निकलने वाली मीथेन गैस की वजह से।
5. अपशिष्ट (waste, garbage) पदार्थों से उत्पन्न बैक्टीरिया और वायरस आदि की वजह से।
6. पशुओं के द्वारा भोजन के पाचन (digestion) के कारण उत्सर्जित (emitted) मीथेन गैस की वजह से।


मानव निर्मित कारण (Man made causes) :


1. जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) जैसे कि पैट्रोल, डीजल, मिट्टी के तेल, कोयले आदि से चलने वाले सभी वाहनों, मोटर गाडियों, इंजन, हवाई और पानी के जहाजों आदि से निकलने वाले धुंए और जहरीली गैस की वजह से।
2. उद्योगों और कारखानों से निकलने वाले धुंए और जहरीली गैस की वजह से।
3. डीज़ल से चलने वाले जनरेटर के इस्तेमाल से निकलने वाले घातक प्रदूषकों (deadly pollutants) की वजह से।
4. कोयले से चलने वाले thermal power plants (बिजली बनाने वाले संयंत्र) से निकलने वाले धुंए और घातक गैस की वजह से।
5. Nuclear weapon tests (परमाणु हथियारों के परीक्षण) से निकलने वाले घातक और जानलेवा रेडियोधर्मी प्रदूषकों (radio- active pollutants) की वजह से।
6. Oil refineries (तेल शोधक कारखानों) से निकलने वाली ज़हरीली और विनाशकारी गैस की वजह से।
7. Paints (रंग), वार्निश, solvent ( विलायक), sprays, cleansing agents (सफाई पदार्थ) आदि के इस्तेमाल से उत्पन्न होने वाले प्रदूषकों की वजह से।
8. Airconditioners और refrigerators में इस्तेमाल होने वाली freon गैस (जो कि वायुमण्डल में ओजोन की परत को बहुत नुकसान पहुँचाती है) की वजह से।
9. लकड़ी, कोयले, मिट्टी के तेल और गोबर के उपलों आदि का खाना बनाने के लिए ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने से उत्पन्न होने वाले जहरीले प्रदूषकों की वजह से।
10. खेतीबाड़ी और बागवानी में इस्तेमाल किए जाने वाले कीटनाशकों (pesticides) और रसायनों (chemicals) के वायु में मिल जाने की वजह से।
11. खेतों में जलाई जाने वाली ठूंठी (stubble) और पराली (फसल काटने के बाद बचा हुआ हिस्सा) से उत्पन्न धुंए और विषैली गैस की वजह से।
12. अंधाधुंध निर्माण (construction) कार्य की वजह से बढ़ती हुई धूल और गन्दगी की वजह से।
13. खनन कार्यवाही (mining operations) में की जाने वाली लगातार drilling (खुदाई) और blasting (विस्फोटन) के कारण निकलने वाली धूल की वजह से ।
14. मल (sewage) के अनुचित निष्कासन (improper disposal) और मल संयंत्रों (sewage plants) की कमी या उपलब्धता न होने के कारण पैदा होने वाले खतरनाक बैक्टीरिया और वायरस की वजह से।
15. कूड़ा-करकट, कचरे, गंदगी और मरे हुए जानवरों के अनुचित निष्कासन (improper disposal) के कारण पैदा होने वाले घातक बैक्टीरिया और वायरस की वजह से।
16. घरों और भवनों के अंदर धूप-बत्ती, अगरबती, mosquito coils के धुंए; रसोईघर, fireplace (अंगीठी, चूल्हा, भट्टी) और धूम्रपान के धुँए, अनुचित वायु संचालन (improper ventilation), सजावट के लिए paintings (चित्रों, तस्वीरों में इस्तेमाल किए गए रसायन, फर्नीचर, दीवारों, दरवाजों आदि पर किए गए paint (रंग) और वार्निश, कालीन और plywood (परतदार लकड़ी) से निकलने वाली formaldehyde गैस आदि अनगिनत प्रदूषकों की वजह से।
17. जंगलों की अंधाधुंध कटाई और लगातार कम होते हुए पेड़-पौधों और हरियाली की कमी से वातावरण को प्राकृतिक रूप से शुद्ध करने वाली प्रक्रिया (mechanism) में रुकावट की वजह से।
18. वायु प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण है दुनिया की तेज़ी से बढ़ती हुई इंसानी आबादी । आबादी में तेजी से होती बढ़ोतरी की वजह से दुनिया के हर देश में लगातार निर्माण कार्य चल रहे हैं। खेती की जमीन और जंगल कम होते जा रहे है। शहर, उद्योग और कारखाने बढ़ते ही जा रहे हैं। वाहनों और जरूरत के सभी सामानों की माँग लगातार बढ़ रही है। उद्योगों, घरों, भवनों और इमारतों के बढ़ने की वजह से वनस्पति और हरियाली से रहित शहर बंजर होते जा रहे हैं। जगह की कमी की वजह से झोंपड़-पट्टियाँ आदि तेज़ी से बढ़ रही हैं जहाँ पर कूड़ा-करकट और मल आदि के निष्कासन और उचित शौचालयों की बेहद कमी है। इन सब कारणों से वायु प्रदूषण लगातार बढ़ता ही जा रहा है।


वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान :


वायु प्रदूषण की वजह से इंसान के शरीर और उसकी सेहत पर नहीं बल्कि पर्यावरण के साथ-साथ उसकी जिंदगी के बहुत से पहलुओं पर भी काफी हानिकारक असर पड़ने लगा है।

वायु प्रदूषण से होने वाले नुकसान :


वायु प्रदूषण बच्चों के मस्तिष्क, दिमाग पर बहुत बुरा असर करता है और उनके विकास को रोक देता है। दुनियाभर में वायु प्रदूषण के कारण हर साल 5 साल से कम उम्र के तकरीबन 6 लाख बच्चों की मौत हो जाती है।

वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियाँ :


1. वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली आम बीमारियाँ है आँखों और नाक की जलन, साँस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, सिरदर्द और घबराहट, त्वचा पर दाने और खुजली, बालों का झड़ना आदि।
2. वायु का सीधा संबंध इंसान की साँस और श्वास प्रणाली (respiratory system) से हैं। वायु प्रदूषण से होने वाली श्वास (respiratory) और फेफड़ों (lungs) की बीमारियाँ:

a. अस्थमा
b. COPD: Chronic Obstructive Pulmonary Disease
i. Emphysema
ii. Chronic bronchitis

c. Cystic fibrosis
d. Reduced lung function
e. Pulmonary cancer
f. Mesothelioma
g. निमोनिया
3. त्वचा (skin) की बीमारियाँ: Atopic dermatitis; Eczema; Psoriasis; Acne; Pigmentation; Skin Cancer etc.
4. हृदय रोग संबंधित बीमारियाँ, Cardiovascular problems, Heart diseases and Stroke.
5. मस्तिष्क रोग, Neurobeharioural and Neuropsychiatric disorder, Autism आदि।
6. आँखों से संबंधित बीमारियाँ (Opthalmologic disorder) आँखों में जलन, चुभन, पानी का निकलना, दर्द, Conjunctivites (आँखों का आना), Dry eye syndrome, Nuclear cataract etc...
7. Endocrine diseases (अतः स्त्रावी रोग))
8. Immune system disorder (प्रतिरक्षा प्रणाली विकार)
9. Digestive disorder ( पाचक विकार)
10. Liver cancer (जिगर का कैंसर), Urinary bladder cancer (मूत्राशय कैंसर), Pancreatic cancer (अग्नाशय कैंसर), Breast cancer (स्तन कैंसर) आदि।

I. वनस्पति पर असर :


वायु प्रदूषण के कारण पेड़-पौधों को सूरज की रोशनी कम मिल पाती है जिससे उनके प्रकाश संश्लेषण (photosynthesis) की क्रिया पर बहुत असर पड़ता है और उनका विकास रुक जाता है। वायु प्रदूषण के कारण अम्लीय वर्षा (acid rain), धूम कोहरा (smog), ओजोन, कार्बन मोनोक्साइड, सल्फर डाइ ऑक्साइड, फ्लोराइड आदि पौधों और वनस्पतियों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं और उनकी पत्तियाँ, टहनियाँ, बीज, कलियाँ, फल, फूल, सब्जियों आदि ठीक से विकसित नहीं हो पाते।

II. जीव-जन्तुओं पर असर :


वायु प्रदूषण का असर पक्षियों, कीट-पतंगों और जानवरों पर भी वैसा ही होता है जैसा कि इन्सानों पर । वायु प्रदूषण का सीधा और बुरा असर उनकी श्वास प्रणाली (respiratory system), lungs (फेफड़ों) और हड्डियों आदि पर होता है।

III. वायुमण्डल ( atmosphere) और जलवायु (climate) पर असर :


1. ओजोन परत का विघटन (dissolution)
2. ग्रीन हाउस असर
3. वायु प्रदूषण का स्थानीय मौसम (regional weather) पर बहुत बुरा असर पड़ता है और यह मौसम संबंधित निम्नलिखित कियाओं की वजह बनता है:
a. धूम कोहरा (smog)
b. अम्लीय वर्षा (acid rain)
c. तापमान (temperature) का बढ़ना
d. बारिश का अनियमित (irregular) होना

IV. अन्य (other) असर :


बहुत सी धातुओं का जल्दी खराब हो जाना; लोहे पर जंग लग जाना इमारतों का कमजोर पड़ जाना; कागज, कपड़े और संगमरमर का क्षीण (feeble, dull) हो जाना। इसका जीता जागता उदाहरण है ताजमहल के सफेद दूध जैसे संगमरमर का मथुरा oil refinery के प्रदूषण की वजह से प्रदूषित होकर मैला हो जाना।


वायु प्रदूषण से बचाव :


1. इंसान को जल्दी ही जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) जैसे कि पेट्रोल, डीजल, कोयले आदि का विकल्प ( alternative) ढूँढना होगा और वाहनों में ईंधन से निकलने वाले धुंऐं को ऐसे समायोजित (adjust, tune) करना होगा जिससे कम से कम धुँआ बाहर निकले।
2. अपने निजी वाहनों (personal vehicles) का कम से कम और सार्वजनिक परिवहन (public transport) का ज्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल करना चाहिए। जहाँ तक हो सके सभी को दूसरों के साथ वाहनों का सांझा ( vehicle pooling) और साईकिल का ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए।
3. जंगलों की कटाई पर पूरी तरह से रोक लगा देनी चाहिए। ज़्यादा से ज़्यादा पेड़-पौधे लगाने चाहिए और उनकी सही देखभाल होनी चाहिए।
4. खेतीबाड़ी और बागवानी में कीटनाशकों (pesticides) और अन्य रसायनों (chemicals) का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए।
5. सूखी पत्तियों, ठूंठी (stubble) और पराली का जलाना बिल्कुल बंद हो जाना चाहिए और सरकार और लोगों को मिलकर इनके सही निपटान (disposal) के आसान और व्यवहार्य (viable) साधन ढूँढने और इस्तेमाल करने चाहिए।
6. ऐसे ईंधन के इस्तेमाल की सलाह दी जाए जिसका उपयोग करने से उसका पूरा ऑक्सीकरण (oxidation) हो जाए और कम से कम धुंआ निकले। लकड़ी, कोयले मिट्टी के तेल और गोबर के उपलों का ईंधन के रूप में कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए। निर्धूम चूल्हों (smokeless stoves) और सौर ऊर्जा (solar energy) के इस्तेमाल को प्रोत्साहन और बढ़ावा देना चाहिए।
7. उद्योगों और कारखानों को शहरी और रिहायशी इलाकों से दूर कायम करना चाहिए और ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करना चाहिए जिससे धुंए का ज्यादातर हिस्सा अवशोषित (absorb) हो जाए और अवशिष्ट (residual) पदार्थ और गैस ज्यादा मात्रा में वायु में न मिलें।
8. शहरीकरण की प्रक्रिया को कम करके गाँवों और कस्बों में ही रोज़गार और कुटीर उद्योगों (cottage industries) और अन्य सुविधाओं को उपलब्ध कराना चाहिए।
9. बिजली और बिजली के उपकरणों (equipments) का ज़रूरत के मुताबिक और ऊर्जा दक्ष उपकरण (energy efficient devices) जैसे कि LED lights, smart thermostats आदि का इस्तेमाल करना चाहिए। Air conditioners, refrigerators और generators का वाजिब और कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए।
10. निर्माण (construction) स्थल पर खोदी गई मिट्टी का साथ साथ ही सही इस्तेमाल कर लेना चाहिए और निर्माण सामग्री को ढक कर रखना चाहिए।
11. घर के अन्दर-बाहर गली, मौहल्ले और सार्वजनिक स्थानों पर कहीं भी कूड़े को इकठ्ठा न होने दिया जाए। कूड़े-करकट और कचरे को कभी भी जलाया न जाए। सरकार और सरकारी महकमों को चाहिए की कचरा भराव क्षेत्र (landfill) को ज्यादा न बढ़ने दें और समय-समय पर कूड़े का सही निष्कासन (disposal) हो जाना चाहिए।
12. शहरों, कस्बों और गाँवों में उचित मल निकास (sewage ) और उसके सही निष्कासन (disposal) की व्यवस्था होनी चाहिए।
13. आज हर चीज़ को recycle और पुन: उपयोग करने की जरूरत है। वायु प्रदूषण की एक बड़ी वजह निर्माण (manufacturing) है। कपड़े, कागज, बोतलों आदि की ज्यादा से ज्यादा recycling होनी चाहिए।
14. घरों में अच्छे और असरदार निकास पंखे ( exhaust fans) और रसोईघर में चिमनियाँ लगानी चाहिऐं। घरों और भवनों के अन्दर धूप-बत्ती, अगरबत्ती और mosquito coils आदि का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए और घरों को अच्छी तरह से हवादार (ventilated) रखना चाहिए। घरों के अन्दर कालीन और दरियों का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए और जहाँ तक हो सके घरों को खाली रखना चाहिए और कम से कम और सिर्फ ज़रूरत का ही सामान खरीदना चाहिए। ऐसा इन्तजाम करना चाहिए कि घरों और भवनों के अन्दर धूल और मिट्टी बिल्कुल भी न जाए।
15. वायु के दूषित होने की वजहों इससे होने वाले नुकसान और बचाव आदि की जागरूकता जहाँ तक मुमकिन हो सके फैलाऐं। खासतौर पर हर उम्र के बच्चों को इनसे बहुत अच्छी तरह से वाकिफ करवाएं और उनके teachers और school/college authorities, अधिकारियों तक यह संदेश पहुंचाऐं कि 'environment protection and awareness' यानि कि 'पर्यावरण सुरक्षा और जागरूकता’ विषय को हर एक कक्षा के syllabus (पाठ्यकम) में अनिवार्य रूप से शामिल किया जाए।
16. वातावरण और वायु के प्रदूषण को रोकने के लिए जहाँ पर भी सरकार, सरकारी महकमों और अन्य संस्थाओं (institutions) को काम करने की व सही कदम उठाने की जरूरत है, उन तक अपनी पहुँच बनाने के लिए अपने क्षेत्र के Corporator, MLA, MP सरकारी अफसरों और Civic authorities को वक्त-वक्त पर इस गंभीर विषय के बारे में बताते और आगाह करते रहें।

आप सभी से मेरी गुजारिश है कि smoking, धूम्रपान को अपनी और औरों की जिंदगी से निकाल फेंकें। खूब पानी पीयें और गुड़, शहद और नींबू का सही मात्रा में नियमित इस्तेमाल करें। संतुलित पौष्टिक और सादा खाना खाएँ और नियमित रूप से कसरत और सैर करें और अपने शरीर की immunity, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ायें।

आइये आज हम सब यह प्रण लें कि हम सब वायु प्रदूषण के प्रति हमेशा सचेत और जागरूक रहेंगे और जहाँ तक भी मुमकिन हो सकेगा इसको रोकेंगे और इसके प्रति जारूकता को फैलाते रहेंगे।

आखिर में मैं यही कहूंगा कि कुदरत और उसकी सभी देन अनमोल है, उनकी इज्जत करें और उन्हें बहुत संभाल कर रखिए ।
वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फ़तेह ।

वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह।
गुरसंगत का दास
संतरेन डॉ. हरभजन शाह सिंघ गद्दी नशीन