संगठन

गुरसंगत :

 

श्री गुरू महाराज जी के शिष्यों का मण्डल गुरसंगत कहलाता है। श्री गुरू महाराज जी एवं गुरू गद्दी के प्रति श्रद्धा, भक्ति व विश्वास रखने वाला प्रत्येक शिष्य एवं व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के गुरसंगत का सदस्य होता है। गुरसंगत का गठन संतरेन बाबा रघबीर शाह सिंघ जी महाराज ने सन् 1973 में किया था। गुरसंगत के मुख्य उद्देश्यों में सभी का स्थान के वार्षिक एवं अन्य समारोहों में सम्मिलित होकर उत्साह एवं श्रद्धापूर्वक मनाना ; सभी गुर भाईयों में भाईचारा, प्यार और सदभावना एवं समानता बढ़ाना; गुरू महाराज जी की अमृतवाणी, गुरमत, उपदेशों व नैतिक व सामाजिक शिक्षा का पालन एवं प्रचार करना ; सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वास, दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या एवं फिज़ूल खर्ची इत्यादि को दूर करना तथा गुर भाईयों के व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं सामाजिक समस्याओं को सुलझाने इत्यादि का प्रयत्न करना है।
 

गुरसंगत युवा मण्डल :

 

श्री गुरू महाराज जी के युवा शिष्यों का मण्डल गुरसंगत युवा मण्डल कहलाता है। गुरसंगत का 18 वर्ष की आयु से 50 वर्ष की आयु तक का प्रत्येक व्यक्ति (पुरूष/स्त्री) गुरसंगत युवा मण्डल का अनिवार्य सदस्य होता है। युवा मण्डल का गठन संतरेन बाबा रघबीर शाह सिंघ जी महाराज ने 1970 के दशक में किया था। वास्तव में युवा मण्डल गुरसंगत का ही एक अभिन्न अंग है व इस का प्रमुख उद्देश्य गुरसंगत के सभी कार्यों एवं उद्देश्यों को पूरा करने में सशक्त योगदान एवं सहायता करना है। इसके अतिरिक्त स्थान एवं गुरसंगत द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में तन, मन, धन से सेवा करना व सभी गुर भाईयों को हर प्रकार की सेवा एवं परमार्थ के लिए प्रेरित करना ; गुरू महाराज जी द्वारा स्थापित ‘‘जीवन शैली एवं आचरण नियम’’ का सम्पूर्णतः पालन एवं प्रचार करना और समस्त गुरसंगत को उनका पालन करने के लिए प्रेरित एवं सहायता करना तथा समस्त गुरसंगत एवं जिज्ञासुओं को गुरू-गद्दी एवं स्थान के इतिहास व घटित घटनाओं, कार्यक्रमों व सूचनाओं से अवगत करवाना इत्यादि युवा मण्डल के कुछ अन्य उद्देश्य हैं।
 

नव युवा मण्डल :

 

श्री गुरू महाराज जी के नव युवाओं का मण्डल नव युवा मण्डल कहलाता है। गुरसंगत का 18 वर्ष की आयु तक का प्रत्येक बालक/बालिका नव युवा मण्डल का अनिवार्य सदस्य होता है। नव युवा मण्डल का गठन 18 अगस्त 2013 को संतरेन डाॅ० हरभजन शाह सिंघ जी ने किया। नव युवा मण्डल का उद्देश्य गुरसंगत के सभी बच्चों को उनके होश सम्भालने से ही अच्छे संस्कार एवं नैतिक आचरण देना, गुर घर के इतिहास व मर्यादाओं से अवगत करवाना, गुरमुखी सिखाना व भविष्य में उन्हें युवा मण्डल एवं गुर संगत का प्रभावशाली सदस्य बनाना एवं जि़ंदगी में एक कुशल और अच्छा प्रोफेशनल और समाज व देश का एक पढ़ा लिखा व समझदार नागरिक बनाने के लिए प्रेरित एवं सहायता करना है।
 

संत सुखदेव शाह मेमोरियल रिलीजियस एन्ड चैरिटेबल ट्रस्ट :

 

धन-धन चेोथे पातशाह श्री गुरु रामदास जी महाराज के आशीर्वाद का प्रताप है कि भाई सोमा शाह जी के वंशज सति सांवल शाह जी महाराज की डेरा इस्माईल खाँ, पाकिस्तान में स्थापित गद्दी जो कि आज भारत में अलवर शहर में स्थित है उसका मानवता के उद्धार व जनकल्याण के कार्यों में सैंकड़ों सालों का एक लम्बा व सशक्त इतिहास है। अपने पूर्वजों की इस गरिमामयी परम्परा व मानव सेवा के सिद्धांतों की विरासत को आगे बढ़ाते हुए संतरेन बाबा रघबीर शाह सिंघ जी महाराज ने सन् 1980 में संत सुखदेव शाह मेमोरियल रिलीजियस एन्ड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की व अलवर शहर में स्थित अपनी निजी सम्पति इस ट्रस्ट को पट्टे (lease) पर प्रदान की। यह ट्रस्ट धार्मिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, शैक्षिक व चिकित्सीय उत्थान इत्यादि क्षेत्रों में निरंतर कर्मठतापूवर्क कार्यरत है। वर्तमान में संतरेन डाॅ० हरभजन शाह सिंघ जी, गद्दी नशीन के नेतृत्व, मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद से यह ट्रस्ट अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में निरन्तर अग्रसर है।

 

संत वासदेव शाह मेमोरियल रिलीजियस एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट :

 

संत सुखदेव शाह मेमोरियल रिलीजियस एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट के सरहानीय योगदान, गुरघर के निरंतर बड़ते हुए कार्यक्षेत्रों, जनकल्याण और गुरसंगत की सुविधा और भलाई हेतु संतरेन डॉ० हरभजन शाह सिंघ जी, गद्दी नशीन ने सन 2018 में संत वासदेव शाह मेमोरियल रिलीजियस एण्ड चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की। अपने छोटे से कार्यकाल में ही इस ट्रस्ट ने धार्मिक, आध्यात्मिक, शैक्षिक, चिकित्सा और विशेष तौर से सामाजिक क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी शुरू कर दी है। वर्तमान में संतरेन डॉ० हरभजन शाह सिंघ जी, गद्दी नशीन के नेतृत्व, मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद और गुरसंगत के योगदान से यह ट्रस्ट अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में निरन्तर अग्रसर है।