वार्षिक समारोह
 

गुरमुख सम्मेलन, फरवरी (अलवर)

 

यह गुरमुख सम्मेलन परमहंस संत श्री सुखदेव शाह जी महाराज के ज्योति-ज्योत पर्व के रूप में हर वर्ष 15, 16 एवं 17 फरवरी (4, 5, 6 फाल्गुन) को अलवर में बहुत श्रद्धा एवं भव्य तरीके से मनाया जाता है। इस पर्व की आरम्भता संत शिरोमणि श्री 108 श्री वासदेव शाह सिंघ जी महाराज ने डेरा इस्माईल खाँ (पाकिस्तान) में की थी। इसका निर्वाह उन्होंने व उनके सुपुत्र ब्रह्मलीन संतरेन बाबा रघबीर शाह सिंघ जी महाराज ने भारत में भी किया। अब संतरेन डाॅ. हरभजन शाह सिंघ जी, गद्दी नशीन भी बड़ी श्रद्धा, शालीनता एवं उत्साह से इसका निर्वाह कर रहे हैं। इस सम्मेलन/पर्व में अलवर शहर के अतिरिक्त देश के कोने-कोने से संगत दर्शनों के लिए आती है। सम्मेलन/पर्व की शुरूआत से ही गुरूद्वारा साहिब में तीनों समय गुरू का अटूट लंगर वरताया जाता है और हज़ारों की संख्या में संगत यहाँ पर लंगर प्रसाद व पाठ, कीर्तन एवं गुरबाणी का रस ग्रहण करने के लिए आती है।

 

इस सम्मेलन/पर्व की तैयारी जनवरी माह के पहले सप्ताह से ही शुरू हो जाती है। जनवरी के आखिरी सप्ताह में 6, सुखसागर भवन, मनु मार्ग में अखण्ड पाठ साहिब की लड़ियों की शुरूआत से इस भव्य समारोह की आरम्भता होती है। अखण्ड पाठ साहिब की लड़ियां 14 फरवरी तक निरन्तर चलती रहती हैं। देश के कोने-कोने से पाठी साहिब पाठ करने के लिए इस पवित्र स्थान पर आते हैं। लगभग एक माह तक यहाँ अटूट सेवा चलती है जिसमें हज़ारों की संख्या में संगत बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेती है।

 

12 फरवरी संग्रांद वाले दिन गुरूद्वारा श्री सुखधाम साहिब में संतरेन डाॅ. हरभजन शाह सिंघ जी के मुखारविन्द से बारह माहा की कथा की अमृत-वर्षा होती है। 13 फरवरी को पूर्वजों का आशीर्वाद ग्रहण करने के पश्चात 14 फरवरी को 6, सुखसागर भवन, मनुमार्ग में संतों व संगत के भण्डारे का आयोजन किया जाता है जिसमें देश के अलग-अलग स्थानों से हज़ारों की संख्या में संत महात्मा आकर इस स्थान को पवित्र करते हैं। गुरू महाराज जी संगत एवं अपने परिवार के साथ, आये हुए संतों व संगत को लंगर छकाते हैं एवं उनका आदर सत्कार करते हैं। 15 फरवरी प्रातः काल 2.30 बजे से 6, सुखसागर भवन, मनु मार्ग में नितनेम के पाठ के साथ इस तीन दिन के सम्मेलन/पर्व की शुरूआत होती है। प्रातः 8.30 बजे गुरूद्वारा श्री सुखधाम साहिब में अखण्ड पाठ साहिब आरंभ किये जाते हैं व उसके पश्चात् एक जलूस सजाया जाता है जिसके 6, सुखसागर भवन, मनु मार्ग पहुँचने पर, अरदास के बाद अखण्ड कीर्तन आरम्भ हो जाता है जो कि 17 तारीख सुबह तक निरन्तर चलता रहता है जिसमें देश के प्रसिद्ध रागी जत्थे कीर्तन दरबार के महासागर में अपनी हाज़री भरते हैं। 16 एवं 17 फरवरी को संतरेन डाॅ. हरभजन शाह सिंघ जी के मुखारविन्द से कथा की अमृत वर्षा होती है व 17 तारीख को सामूहिक आदर्श विवाहों के साथ इस महान यज्ञ का समापन होता है। यह सामूहिक आदर्श विवाह दहेज, दिखावे व फिज़ूलखर्ची के बिना आयोजित किये जाते हैं व वर एवं वधु पक्ष को विवाह की सारी सुविधाऐं - जैसे की रहना एवं लंगर की सुविधा इत्यादि स्थान से ही उपलब्ध करायी जाती है एवं वर को पगड़ी व वधु को पल्लू बांधने के लिए चुन्नी भी स्थान से दी जाती है।

 
 

30, 31 मार्च व 1 अप्रैल (रुड़की)

 

इस समारोह का आयोजन गुरूदेव पिता ब्रह्मलीन संतरेन बाबा रघबीर शाह सिंघ जी महाराज एवं गुरमाता ब्रह्मलीन मल्लिका निरमान शाह जी की मधुर स्मृति में किया जाता है। इन दो महान आत्माओं ने 50 वर्ष से भी अधिक समय तक निरन्तर धार्मिक व सामाजिक कार्यों से मानव जाति एवं संगत की सेवा की व हर माध्यम से उनका उद्धार किया। देश के कोने-कोने से आई संगत इस समारोह में सम्मिलित होकर इन दोनों महान आत्माओं को अपने श्रद्धामयी सुमन अर्पित कर अपना जीवन सफल करती है। हर वर्ष 30 मार्च को गुरूद्वारा श्री सुखधाम साहिब, सुखदेव नगर, रुड़की में अखण्ड पाठ साहिब की आरंभता होती है। तीन दिन तक चलने वाले इस आयोजन में मुख्य पाठ के साथ पूर्व से ही अखण्ड पाठ साहिब की लड़ियों का भी आयोजन किया जाता है। तीनों दिन लगातार यहाँ पर गुरबाणी, कीर्तन व सिमरन का निरन्तर प्रवाह होता रहता है व गुरू का अटूट लंगर वरताया जाता है। 1 अप्रैल को कीर्तन दरबार के पश्चात् संतरेन डाॅ. हरभजन शाह सिंघ जी की अमृत रूपी कथा के बाद इस समारोह की समाप्ति होती है।
 
 

गुरू पूर्णिमा उत्सव, जुलाई/अगस्त (रुड़की)

 

गुरू गुरू गुरु करि मन मोर। गुरू बिना मैं नाही होर।।
गुर की टेक रहहु दिनु राति। जा की कोइ न मेटै दाति।।
गुरूद्वारा श्री सुखधाम साहिब, सुखदेव नगर, रुड़की में हर वर्ष गुरू पूर्णिमा उत्सव बड़े ही उत्साह व उमंग से मनाया जाता है। इस पर्व की आरम्भता अखण्ड पाठ साहिब की शुरूआत से की जाती है व गुरू पूर्णिमा के दिन सुबह अखण्ड पाठ साहिब की समाप्ति होती है। मुख्य पाठ के साथ तीन दिन के इस पर्व में पूर्व से ही अखण्ड पाठ साहिब की लड़ियों का भी आयोजन भी किया जाता है। तीन दिन के इस पर्व में पाठ, कीर्तन, गुरबाणी व गुरू के अटूट लंगर का निरन्तर प्रवाह होता है। गुरू पूर्णिमा के पावन दिन देश के कोने-कोने से आई प्यार के रंग में डूबी संगत अपने प्रीतम प्यारे गुरू महाराज जी के दर्शन करके उनका प्रेममयी आशीर्वाद प्राप्त कर अपना जीवन सफल करती है। कीर्तन दरबार के बाद महाराज श्री की अमृतमयी कथा के पश्चात् इस समारोह का समापन होता है।
 
 

गुरसंगत सम्मेलन, नवम्बर (रुड़की)

 

26 नवम्बर 1955 को संत शिरोमणि श्री 108 श्री वासदेव शाह सिंघ जी महाराज 51 वर्ष की कम आयु में इस मिथ्या जगत की अपनी जीवन रूपी यात्रा को पूर्ण कर, लाखों मनुष्यों का उद्धार करके परमपिता परमात्मा में विलीन हो गये। उनकी मीठी याद को मनाते हुए उनके द्वारा बसाए हुए सुखदेव नगर, रुड़की में स्थित गुरूद्वारा श्री सुखधाम साहिब में हर साल 24, 25 व 26 नवम्बर को गुरसंगत सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। 24 नवम्बर को इस सम्मेलन का आरम्भ अखण्ड पाठ साहिब की आरम्भता व गुरबाणी कीर्तन के साथ होता है। रुड़की शहर की संगत के साथ देश के अलग-अलग स्थानों से संगत यहाँ पर पहुंच कर नाम-बाणी से जुड़कर सेवा एवं सिमरन करते हुए गुरू महाराज जी का आशीर्वाद प्राप्त करती है। इस सम्मेलन में भी मुख्य पाठ के साथ पूर्व से ही अखण्ड पाठ साहिब की लड़ियों का आयोजन किया जाता है। तीन दिन तक चलने वाले इस सम्मेलन में पाठ, गुरबाणी, कीर्तन के साथ-साथ गुरू का अटूट लंगर निरन्तर चलता रहता है। 26 नवम्बर को अखण्ड पाठ साहिब के भोग, कीर्तन एवं संतरेन डाॅ. हरभजन शाह सिंघ जी द्वारा कथा की अमृत वर्षा के पश्चात् इस महान सम्मेलन की समाप्ति होती है।