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जो इंसान अपना तन मन गुरु को सौंप देता है व अहंकार त्याग देता है वो ही सच्चा शिष्य और सेवादार है। |
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जितना ज़रुरी है गुरु की आज्ञा को मानना उतना ही ज़रुरी है निम्रता से उस आज्ञा का पालन करना। |
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गुरु के वचनों पर शंका करने वाले को कभी भी गुरु की बख्शीश नहीं मिल सकती। |
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रुका हुआ पानी दुर्गन्ध देता है, चलते रहो। |
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बिना शर्त के, संपूर्ण आत्मसमर्पण ही सच्ची सेवा है। |