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ज्ञान के मोती 5 |
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गुरु, गुरुघर और गुरसंगत की सेवा करनी चाहिए। सेवा कष्ट काटती है और सेवा से सूली कांटा बन जाती है।
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अपने मूल को कभी मत भूलो, मूल से कभी ना बिछड़ो। इंसान का मूल ईश्वर है, ईश्वर का नाम है। जो अपने मूल से बिछड़ जाता है उस की मौत और पतन निश्चित है।
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इंसान की चेतनता और विवेक ही उसे जानवरों, पेड़-पौधों और पत्थरों से अलग करते हैं। |
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किसी भी रिश्ते को निभाने के लिए (Compromise) और (Surrender) यानि की समझौता और समर्पण करना बहुत ज़रूरी है। |
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इंसान का शरीर ईश्वर की सबसे बड़ी दात है और इसकी देखभाल करना इंसान की सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी है। अच्छा, साफ-सुथरा और गुणकारी खाना खाओ, चलो फिरो, कसरत करो, शुभ और सकारात्मक सोचो और शरीरिक और मानसिक रूप से तंदुरुस्त रहो।
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